कैसे कह दु तुम खास नही

कैसे कह दु तुम खास नही, जो दिल के इतने पास है,
जो दिल की धड़कन है, जो चलती हुई सांस है, वोही तो ज़िंदगी की आस है,
फिर वो कैसे खास नही ?
तुम ना मानो पर मैने माना,
तुम बिन जीने की प्यास नही,
कैसे कह दु कोई खास नही ?
खुद से मेरी पहचान कराना,
जो था मेरे भीतर, उसका एहसास दिलाया,
कैसे कहदू वो कोई आम है,
क्यू ना कहू वो कोई खास है ?
तुम हो खास हमेशा, और रहोगे यूँ ही सदा
रहना दिल के पास सदा,
फिर ना कहना के तुम कोई खास